मत आओ मेरे पास, नहीं चाहता बनाना रिश्ता नया,
शरीर छलनी है जख्मों से, नहीं चाहता पाना कोई जख्म नया।
जो भी आया मेरे जीवन में, मुझे रूला कर छोड़ गया,
अब और रोना नहीं चाहता, नहीं चाहता बनाना रिश्ता नया।
मुझ कागज पर कई बार लिख कर मिटाया गया,
वो अब और कुछ लिखने लायक नहीं, ढूँढ लो कागज नया।
मुझ गम के मारे को, खुशियाँ रास कहाँ आएँगी,
मेरी अविरल अश्रुओं की धारा में, तुम्हारी खुशियाँ भी बह जाएगी।
मुझ पतझड़ के मारे को मत देने की कोशिश करो वसंत,
अब नहीं कोई फूल खिलेगा इसमें, वीरान रहेगा जीवन पर्यंत।
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