My Sister |
नन्ही सी थी वो,
रोज मिले जेब खर्च के
मेरे पैसों से अपने पैसे मिला कर
खरीदती थी कोई महंगी चॉकलेट
बाँटती थी मुझसे
खुद लेती थी आधे से थोड़ा ज्यादा,
कहती मैं छोटी हूँ ना,
मैं भी मुँह बिचका कर
दे देता था।
जानता था बड़े होने का मतलब,
एक गर्व सा सीने में उठता था गज़ब,
पर यह भी जानता था कि खुशी-खुशी दे दिया,
तो अगली बार पूरी चॉकलेट हो जाएगी गायब।
बस रक्षा बन्धन का करता था इंतज़ार,
जब वो बिना बाँटे खिलाएगी मिठाई,
क्योंकि मम्मी ने उससे कह रखा था,
इस मिठाई को सिर्फ भाई खाते हैं
वरना इसे खाने वाली बहन को
मुँछें उग आती हैं।
रूला देता था कभी कभी,
चिढ़ा चिढ़ा कर।
Our तिकड़ी (गौरव, निधि, मैं) |
उछलता था खुशी से
ताली बजा बजा कर
वो चीखती थी,
दादा जी !!!!!!!!!!!!!
और मैं भाग जाता था
दुम दबा कर।
क्योंकि जानता था,
दादा जी की दुलारी को
रूलाने कर,
मार पड़ेगी और गायब हो जाएगी,
मेरी हँसी,
फिर वो हँसेगी,
मुँह बना-बना कर।
पर दूसरों से लड़ता था,
जब कोई कुछ कह दे उसे,
क्योंकि जानता था,
राखी के धागों का मोल
भाई दूज के टीके की कीमत
With Her Better Half on Her Marriage |
पर चली गई एक दिन
अपने सपनों के राजकुमार के साथ,
और पहली बार रूला गए,
उसके आँसू।
नहीं उछला मैं ताली बजा कर,
लगा जैसे हृदय खोखला हो गया है,
गले में चुभो रहा है कोई काँटे,
खुशी है कि खुश है वो,
अपने जीवन साथी के साथ,
और देख रहा हूँ राह,
अगले रक्षा बन्धन की
जब फिर से
उसके हाथों से खाउँगा मिठाई
बिना उससे बाँटे