दिल के किस कोने में है उनका आशियाँ?
मैं भूलने कि कोशिश चाहे लाख करूँ,
तेरी यादें साथ जाती हैं, जाता हूँ जहाँ।
ज़िन्दा लाश बना कर छोड़ दिया
इतना तो बता दे मुंसिब मेरा गुनाह क्या?
तु ही तो बस मेरी अपनी थी,
तेरा दिया दर्द किससे करूँ बयाँ?
यूँ अन्धेरे में जो खो जाना था,
क्यूँ थामा था हाथ मेरा इतनी दूर तलक?
ज़माना बीत गया तेरे दीदार को फिर भी,
नाम तेरा लेकर गिरती उठती है क्यूँ पलक?
जान ले ले जुदाई इससे पहले,
बस एक झलक दिखा जा ऐ बेरहम।
वरना तुझको हीं ढूंढेंगे,
अगले कई युगों तक हर जनम ।
वरना तुझको हीं ढूंढेंगे,
अगले कई युगों तक हर जनम ......
प्रकाशित: सुबह – संयुक्तांक – 2008