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3 दिस॰ 2009

वह दानव हममें बसता है

जीवन मे प्रगति की अन्धी दौड़ में,
सफलता नाम पैसे की होड़ में,
कुछ है जो चुभता है, जलता है,
सबकुछ ठीक है, मगर फिर भी कुछ खलता है.

अभी यहाँ पर यह जो अट्टालिका खड़ी है सीना तान,
वहाँ पर एक पेड़ था कभी जिस पर कोयल सुनाती थी तान.

आस पास रेंगते हैं काले धुएँ के गुब्बार,
कभी यहाँ बहती थी महकती मदमाती बसंत बयार.

और वो जो बह रहा है पीछे बड़ा सा नाला,
बदसूरत बदबुदार और कोयले से भी काला

कभी वहाँ निर्मल नदिया कलकल करती बहती थी.
आओ मिल कर होड़ लगाएँ राहगीरों से कहती थी.

अब तो उसकी गति पड़ गई है मन्द
गन्दगी और कचरे ने उसकी सांसे कर दी है बन्द.

और थोड़ी दूर वो जो नंगा सा पहाड़ घूर रहा है,
अपने ज़माने में वो भी खुबसूरती के लिए मशहूर रहा है.

इस अंतहीन सड़क पर जहाँ से ज़हर छोड़ती धूल धूसरित गाड़ियाँ रेंग रही हैं,
कभी वहाँ छ्लांगे भरते थे शावक आज ढूँढा तो पाया वो कहीं नहीं हैं.

किसने तोड़ा उन घोसलों को, पक्षियों ने कितनी मेहनत से बनाया होगा,
किसने मारा उन जीवों को, मारने के पहले कितना तड़पाया होगा.

नदिया जो वहती थी चुपचाप,
जाने किस दानव का उसको लग गया श्राप.

झाँको, अपने भीतर देखो,
वो दानव हममें बसता है,
अपना जीवन पाया जिस प्रकृति से,
उसका हीं गला घोंटता है और हँसता है.

प्रकृति का गला घोंट के
उसके प्रति हम अपना प्रेम कुछ इस तरह दिखाते हैं,
कुछ कुत्ते बिल्ली पाल कर,
गमलों मे दो चार पौधे लगाते हैं.

उन पौधों को भी रास नहीं आता,
मानव का ज़हरीला वातावरण
मुर्झाए हुए से मुस्काते हैं
ओढ़ कर धूल धूएँ का आवरण

प्रकाशित: सुबह, जनवरी-मार्च 2007

4 टिप्‍पणियां:

  1. jhakaas!!!,,,,,aur jo aapne pics properly place ki huvi hain usse maza, n understanding double ho gayi.
    but sir english me kyun nahi likhte?

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद!!! भाई इंगलिश पढ़ाना और उसमें कविता लिखना दो अलग अलग बातें हैं.

    जवाब देंहटाएं
  3. गौतम कुमार कुटरियार जी,

    मैं रुपेश बंगलोरे से, लेकिन मैं झारखण्ड से हूँ. और माहुरी के सेठ खाता से हूँ. वास्तव में मुझे भी कवितायें लिखने का बहुत शौख है. लेकिन मैं कभी भी किसी अखबार में ना ही किसी पात्रिका में मैंने अपनी कविताये छपवाया हूँ. लेकिन मैं चाहता हूँ की कोई ऐसा मिले जो मेरे कविता को समझे और उसे प्रोत्साहित करे. आशा है आप इस कमेन्ट का उतर अवश्य देंगे.
    aap mere email per bhejne ki kripa kare..


    rupeshbonvivantgroup@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  4. रूपेश जी,
    आप चाहे जहाँ से भी हो और चाहे जिस भी जाति के हों, मौका मिलने पर मैं सदा से रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने की कोशिश करता हूँ। आप चाहें तो अपनी रचनाएँ सरिता एवं कादम्बिनी को भेज सकते हैं एवं orkut के कई Communities पर भी प्रकाशित कर सकते हैं।
    उन communities का link निम्नवत है:
    हिन्दी literature
    http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=14094428
    हिन्दी साहित्य सभा
    http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=119731
    हिन्दी कविताएँ
    http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=26340571
    हिन्दी प्रेमी
    http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=31024969
    हिन्दी कविताएँ
    http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=914083
    प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानना हो तो लिखें।

    गौतम कुमार कुटरियार
    सहायक प्रशासनिक अधिकारी
    भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक(CAG) का कार्यालय
    Blog:kutariyar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

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