कपड़ों के चीथड़े, माँस के लोथड़े फैले हैं यहाँ-वहाँ।
ढूँढो शयद वह ज़िन्दा हो, ढूँढो वो है कहाँ।
वह पेड़ से टंगा है खून से सना उसका कुर्ता नया।
मानो इस ज़ुल्म के लिए कोस रहा हो भगवान को।
खत्म हो गया माँ बाप का लाडला, खत्म हो गई नौकरी पाने की कवायद।
इस दुनिया में रौशन वह उन दोनो का नाम करेगा।\
अपने जीवन का बोझ लेके वे अब जाएँगे कहाँ।
अभी जीवन शुरू हुआ होगा, चाहे जिस किसी का है।
हँसती खेलती कलियों पर छा गया स्याह अन्धकार।
साल छ: महीनों में इसका दूल्हा आने वाला होगा।
अब हाथों की नब्ज़ों में जान ढूंढ रहे हैं बेचारी मेँ।
उजाड़ डाले कई घर, सोंचा नहीं कुछ भी पहले या बाद में।
तुम सीमापार से तमाशा देखते रहे, कर गए कितनो को बर्बाद।
इस देश की मिट्टी में लहलहाती, खुशियोँ की फसल ही पाएगा।
दुनिया का कोई भी धर्म नहीं समर्थन करता इस कुकर्म का।