नींद भी रुठ गयी है, तेरा साथ छोड़ के जाने के बाद
काश आज चैन की नींद आ जाए फिर, ज़माने के बाद.
तेरा चेहरा कुछ ऐसे घुमता है आंखो मे, बेचैनी बढ़ जाती है,
फिर दिल सिसक सिसक कर रोता है, फिर नींद किसे आती है.
तेरी गोद का सुकून ढुंढ्ते, रात बीतती है करवटें बदलते बदलते
भोर कब होती है, पता नहीं चलता तेरी याद में जलते जलते.
दिल माँगता है दुआएँ, काश वो दिन वापस आ जाते
ठंडक होती तेरे चुनर की, हम चैन की नींद सो पाते.
अब तो उम्मीद खो चुका हूँ, लगता है वो दिन वापस नहीं आएँगे,
मौत का इंतजार है अब बस, जब हम चैन की नींद सो पाएँगे.
अगली बार सोने से पहले बस इतनी दुआ करना,
मौत माँग लेना मेरे लिए, बस इतनी वफा करना.
मौत माँग लेना मेरे लिए, बस इतनी वफा करना...
प्रकाशित: सुबह, जनवरी-मार्च 2008.